क्या लड़किया नहीं है प्यार का हक़दार
लड़किया वो है जो घर के आंगन में चिड़ियों की तरह चहचहाती है , बाबा की आँखों का नूर कहलाती, भाई की लाड़ली बहन बन जाती है, तो फिर क्यों उन्हें कभी गर्भ में तो कभी ससुराल में तो कभी दुष्टों के हाथ कुचलते है | कुछ लोग बेटी कह कर जिस्म से खिलवाड़ करते तो कुछ उन्हें पैदा करने से पहले मार देते , वही कुछ तो हद पार कर देते की सारे कपड़े ही फाड़ देते। कोई चॉकलेट के बहाने तो कोई अपनों के शक्ल में भेड़िया बनकर आता है , जिस उम्र में बच्चियाँ गुड्डे गुड़िया की शादी रचाती है , उसी उम्र में अब न जाने कितनी ज़िन्दगी से ही मुँह मोड़ लेती है। इस बेरहम दुनिया से बस यही पूछना है, की आखिर कबतक बेटियों की ही बलि देश को चढ़ाई जाएगी। और क्या कभी ऐसा वक़्त भी आएगा जब इन दरिंदो को सरकार फांसी पर लटकायेंगी ? उन्नाव रपे केस हो ,या कठुआ रपे केस , या फिर हो निर्भया रपे केस और न जाने कितने ही ऐसे रेप रोज होते है , कुछ तो सामने आजाते है वही कुछ ऐसे भी रेप केसेस है जिसकी शिकार लड़किया रोज हो रही है , जहा कुछ तो डर से नहीं बोलती है , वही कुछ के परिवार उसे समाज के डर से बोलने नहीं देते है। लोग सरकार पर ऊँग